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मोटिवेशन : चाणक्‍य नीति: सफल जीवन के लिए जरूरी मूर्खों की संगति का त्‍याग, जानें आचार्य चाणक्‍य की ये 8 बातें

मोटिवेशन : चाणक्‍य नीति: सफल जीवन के लिए जरूरी मूर्खों की संगति का त्‍याग, जानें आचार्य चाणक्‍य की ये 8 बातें

चाणक्य निति : आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विख्‍यात हुए. उनके बताए सिद्धांत (Principle) और नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं. जहां उन्‍होंने चाणक्य नीति के माध्‍यम से जीवन की अहम समस्‍याओं के समाधन की ओर ध्‍यान दिलाया है, वहीं जीवन में सफलता प्राप्‍त करने और अपने लक्ष्‍य पर टिके रहने के संबंध में भी महत्‍वपूर्ण बातें बताई हैं. चाणक्‍य नीति कहती है कि वही व्‍यक्ति विद्वान है, जो वही बात बोलता है जो प्रसंग के अनुरूप हो और जो अपनी शक्ति के अनुरूप दूसरों की प्रेम से सेवा करता है और जिसे अपने क्रोध की मर्यादा का पता है. आचार्य चाणक्य की नीतियों को जीवन में उतार कर व्‍यक्ति सुखी जीवन व्‍यतीत कर सकता है और सरलता से अपना लक्ष्‍य प्राप्‍त कर सकता है. आप भी जानिए चाणक्‍य नीति की ये महत्‍वपूर्ण बातें-

वही व्यक्ति जीवित है, जो है गुणवान

चाणक्‍य नी‍ति कहती है कि वही व्यक्ति जीवित है, जो गुणवान है और पुण्यवान है. लेकिन जिसके पास धर्म और गुण नहीं उसे किस तरह शुभ की कामना दी जा सकती है. क्‍योंकि उसके कर्म उसे अंधकार की ओर ले जाते हैं.

वही विद्वान जो प्रसंग के अनुरूप बोले


आचार्य चाणक्‍य के अनुसार वही विद्वान है, जो वही बात बोलता है जो प्रसंग के अनुरूप हो. जो अपनी शक्ति के अनुरूप दूसरों की प्रेम से सेवा करता है और जिसे अपने क्रोध की मर्यादा का पता है.

ऐसे व्‍यक्ति में नहीं जागती कामना

चाणक्‍य नीति के अनुसार एक ही वस्तु देखने वालो की योग्यता के अनुरूप बिलग-बिलग दिखती है. तप करने वाले में वस्तु को देखकर कोई कामना नहीं जागती. लम्पट आदमी को हर वस्तु में स्त्री दिखती है. कुत्ते को हर वस्तु में मांस दिखता है.

व्‍यक्ति स्‍वयं में करे ये बदलाव

चाणक्‍य नी‍ति कहती है कि कोकिल तब तक मौन रहती है. जब तक वह मीठा गाने की क़ाबिलियत हासिल नहीं कर लेती और सबको आनंद नहीं पहुंचा सकती. इसलिए व्‍यक्ति को स्‍वयं में बेहतर बदलाव करने चाहिए.

याद रखें गुरु से सुने शब्‍द

चाणक्‍य नीति के अनुसार इन चीजों को प्राप्त करें और इन्‍हें बनाए रखें. जैसे हमें हमारे पुण्य कर्म के जो आशीर्वाद मिले. उन्‍हें बनाए रखें. वे शब्द जो हमने हमारे अध्यात्मिक गुरु से सुने. इनको सदैव याद रखें. इन सबको याद रखना जरूरी है, वरना जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.

संत जनों से बढ़ाएं मेलजोल

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार व्‍यक्ति को कुसंग का त्याग करना चाहिए और संत जनों से मेलजोल बढ़ाना चाहिए. अपने कर्मों का सदैव चिंतन करते रहें. इससे व्‍यक्ति गलत राह पर जाने से बचा रहेगा.

ये लोग प्राप्‍त करेंगे ज्ञान निधि

चाणक्‍य नी‍ति कहती है कि अगर व्‍यक्ति उपकरण का सहारा ले, तो वह गर्भजल से पानी निकाल सकता है. उसी तरह अगर विद्यार्थी अपने गुरु की सेवा करे, तो गुरु के पास जो ज्ञान निधि है, उसे प्राप्त कर सकता है.

मूर्खो के लिए पत्थर के टुकड़े हैं रत्न

चाणक्‍य नीति के अनुसार इस धरती पर अन्न, जल और मीठे वचन ये ही असली रत्न हैं. मगर मूर्खो को लगता है कि पत्थर के टुकड़े रत्न हैं. व्‍यक्ति के कर्म जैसे भी हों वे सदा उसके पीछे चलते है. साभार/हिंदी साहित्‍य दर्पण (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. जनता समाचार इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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